मार्शल केअनुसार मोहन जोदड़ो के निवासी 3250 ई.पू. से 2750 ई. पू. के बीच वहां निवास करते थे।
मैके के अनुसार मोहन जोदड़ो का निम्नतम स्तर लगभग 2800 ई. पू. काऔर उच्चतम स्तर लगभग 2500 ई. पू. का है।
डी. पी. अग्रवालने C-14 परीक्षण केआधार पर सिन्धु सभ्यता का काल निर्धारण 2300-1750 ई. पू. किया है।
ह्नीलर का मत है कि इस सभ्यता का काल 2500- 1700 ई. पू. था।
डेल्स के अनुसार यह काल 2900-1900 ई. पू. है।
एम. एस. वत्स ने इसका काल 3500-2500 ई. पू. मानाहै।
सिन्धु निवासी
कुछ लेखकों ने सिन्धु सभ्यता के लोगों को द्रविड़ जाति का बताया है।
कुछ विद्वान हड़प्पा संस्कृति का प्रेरक मेसोपोटामिया की संस्कृति को मानते है।इस पक्ष में व्हीलर का तर्क भी है।
कुछ विद्वान सिन्धु सभ्यता का मूल इरानी-बलूची संस्कृतिको मानते है। यह तर्क दिया जाता है कि हड़प्पा सभ्यता बलूच संस्कृतियों के भारतीयकरण के परिणाम स्वरूप हुए विकास का चरमोत्कर्ष है।
जैसे-जैसे नये साक्ष्य उपलब्ध होते जा रहे है, इतिहासकार सिन्धु सभ्यता के मूल को भारत में ही होने के विषय में गहराई से सोचने लगे हैं।
मैके का विश्वास है कि सिन्धु सभ्यता कुछ हद तक सुमेर संस्कृति से संबंधित था।
वे चार अलग-अलग प्रकार के मानव जातियों में बँटे थे - प्रोटो-आस्ट्रोेलायड, मेडीटेरेनियन, अल्पाइन और मंगोलियाई।
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