Tuesday, May 19, 2020

भारत नेपाल लिपुलेख दर्रा विवाद

भारत नेपाल लिपुलेख दर्रा विवाद .......

कई सालों से निर्माणाधीन 90 किलोमीटर लंबी धारचूला लिपुलेख सड़क (Lipulekh Road) परियोजना का 8 मई 2020 को परियोजना का शुभारंभ किया था. अर्थात इस सड़क के बनने के बाद चीन की सीमा से सटे 17,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रा अब उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ जाएगा. इस सड़क को बनाने के लिए पहाड़ को भी काटा गया है. 

लिपुलेख दर्रा (ऊंचाई 5,200 मीटर या 17,060 फीट) भारत के उत्तराखंड राज्य और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच की सीमा पर स्थित एक हिमालयी दर्रा है. नेपाल इसके दक्षिणी हिस्से (जिसे कालापानी कहा जाता है) को अपना भाग मानता है, जो कि 1962 से ही भारत के नियंत्रण में है. 

उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की सीमाएं नेपाल और चीन जैसी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से मिलती हैं. नेपाल की सीमा पर SSB और चीन की सीमा पर ITBP की तैनाती है. 
वर्तमान में यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है. लगभग 17500 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रे को लीपू पास या लिपू दर्रा भी कहा जाता है. यह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से भी जोड़ता है.

नेपाल का पक्ष 

1. नेपाल दावा करता है कि 1816 की सुगौली संधि के अनुसार, लिपुलेख दर्रा उसके इलाके में पड़ता है, इसलिए यहाँ पर भारत के सड़क बनाना गलत है. सुगौली संधि 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच हुई थी.

2. नेपाल कहता है कि सुगौली संधि (Sugauli Treaty) भारत के साथ उसकी पश्चिमी सीमा का निर्धारण करती है. सुगौली संधि के अनुसार, महाकाली नदी के पूरब का इलाक़ा जिसमें; कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख शामिल हैं, नेपाल के क्षेत्र हैं. 

3. हालांकि साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही कालापानी में भारतीय सैनिक तैनात हैं क्योंकि 1962 के भारत और चीन युद्ध में भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाई थी.

ज्ञातव्य है कि काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है. पिछले साल भारत ने कालापानी को अपने नक्शे में दिखाया जिसे लेकर भी नेपाल ने विरोध जताया था.

Wednesday, May 13, 2020

सूक्ष्म लघु तथा मध्यम उद्योग

#भारत_सरकार_के_अनुसार_सूक्ष्म_लघु_और_मध्यम_उद्योग_किन्हें_कहा_जाता_है?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र पिछले पांच दशको में भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अत्यधिक जीवंत एवं गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है. इस क्षेत्र ने भारत की अर्थव्यवस्था को आर्थिक  मंदी के समय मंदी में फसने से बचाया था. कुल मिलाकर यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी जैसा रोल निभा रहा है.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास बिल- 2005 (जो 12 मई, 2005 को संसद में प्रस्तुत किया गया था) को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति दे दी गई है और इस प्रकार एक अधिनियम बन गया था. इस अधिनियम को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के रूप में नामित किया गया है.

#आइये_जानते_है_कि_इस_अधिनियम_के_अनुसार_सूक्ष्म_लघु_और_मध्यम_उद्यम_किन्हें_कहा_जायेगा?

#सूक्ष्म_लघु_और_मध्यम_उद्यम (MSMEs) #विकास_अधिनियम_2006_की_नई_परिभाषा;

नई परिभाषा 7 अप्रैल,2018 से लागू है जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया था. इस परिवर्तन के बाद अब “प्लांट और मशीनरी” में निवेश की जगह “टर्नओवर” के आधार पर MSMEs वर्गीकरण किया जायेगा.

#सूक्ष्म_लघु _और _मध्यम_उद्यम_की_पुरानी_परिभाषा_2018 

#विनिर्माण_क्षेत्र:- #सेवा_क्षेत्र

 #सूक्ष्म_उद्योग:- सालाना टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से कम

 #लघु_उद्योग:- सालाना टर्न ओवर रु. 5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच

 #मध्यम_उद्योग:- सालाना टर्न ओवर रु. 75 करोड़ से 250 करोड़ के बीच

#सरकार_द्वारा_इसकी_नई_परिभाषा_इस_प्रकार_दी_गयी_है:- #2020

#वर्गीकरण:- विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र

#सूक्ष्म_उद्योग:-निवेश 1 करोड़ से कम &टर्नओवर 5 करोड़ से कम  

#लघु_उद्योग:-निवेश 10 करोड़ से कम & टर्नओवर  50 करोड़ से कम

#माध्यम_उद्योग:-निवेश 20 करोड़ से कम & टर्नओवर  100 करोड़ से कम

#सूक्ष्म_लघु_और_मध्यम_उद्यमों_का_भारतीय_अर्थव्यवस्था_में_योगदान_इस_प्रकार_है.

1. इस समय भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र की लगभग 36.1 मिलियन इकाइयाँ लगी हुई हैं.
2. वर्तमान में MSMEs ने भारत में 120 मिलियन लोगों को रोजगार दिलाया हुआ है.
3. MSMEs, भारत के कुल निर्यात में करीब 45% योगदान देते हैं.
4. MSMEs, भारत के विनिर्माण-सकल घरेलू उत्पाद में 6.11% का योगदान देते हैं, सेवा क्षेत्र से मिलने वाली GDP में 25% का योगदान देते हैं.
5. इस क्षेत्र ने लगातार 10% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर को बनाए रखा है.
6. देश के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 8% का है.
7. MSMEs की बहुत सी इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थित है जिसके कारण गावों से शहरों की ओर पलायन रुका है.

उम्मीद है कि इस एक्ट में किये गए नए परिवर्तन आगे चलकर उद्योग क्षेत्र के विकास को और गति प्रदान करेंगे.

Wednesday, May 6, 2020

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए सटीक रणनीति

#UPSC #प्रीलिम्स #उत्तीर्ण #करने की #सटीक #रणनीति...

कुछ अभ्यर्थी अभी कोरोना का लुत्फ ले रहे हैं मतलब पढ़ नही रहे हैं और उन्हीं में से कुछ ऐसे भी हैं जो इसे अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए एक सुनहरा अवसर मान रहे हैं आपको भी इसे एक अवसर के रूप में देखना है आप इस विषय पर अपने समय की बर्बादी न करें की परीक्षा होगी या नही होगी होंगी तो कब होंगी लेकिन ये जान लीजिए आप कि परीक्षा होंगी और जरूर होगी मगर कुछ दिनों के उपरांत होगी...

अब हम सीधे मुद्दे पर आते हैं बहुत से अभ्यर्थी इसी ऊहापोह की स्थिति में रहते हैं कि समय कम है क्या करें,कैसे करें,क्या पढ़े,क्या न पढ़े आदि आदि...


1. जितने भी अभ्यर्थी हैं वो सिर्फ अब उन्ही चीजो पर ध्यान केंद्रित करें जिसको वो पहले पढ़ चुके हैं नया कुछ भी न पढ़े।

2. समाचार पत्र + मैगज़ीन + RSTV प्रतिदिन के शेड्यूल में शामिल होना चाहिये।

3. अब समय आ गया हैं कि प्रतिदिन डेढ़ से 2 घंटे विगत वर्षों के प्रश्नों का अवलोकन करें और प्रश्नों को टॉपिक वाइज देखे।

4. प्रतिदिन कोई भी एक टेस्ट सीरीज जरूर सॉल्व करें अभी offline मे prblm है तो आप online भी कर सकते हैं बहाना बनाने से कुछ नही होगा ये जान लीजिए और वो भी सिर्फ 2 घण्टे मे ही solve करें परीक्षा भवन की तरह ही और उसका सॉल्युशन पढ़े यदि आप ऐसा अभी भी नही कर रहें है तो अभी आप खुद के साथ धोखा कर रहें हैं।

5. विज़न 365 उपयोगी हैं आप खरीद लीजिये बहुत से अभ्यर्थी  lockdown के कारण परेशान हैं तो वो download करें कुछ लाभ उठाइये internet का बहाना न बनाओ कि मिल नही रही हैं कैसे करेंगे क्या करेंगे बाकी आपकी मर्जी।

6. इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था,अर्थव्यवस्था, ये 4 सबसे महत्वपूर्ण विषय हैं इनके टॉपिक को एक तरफ लिख ले कि किस टॉपिक से कैसे प्रश्न पूछे गए हैं और अवलोकन करें कि अब ये सम्भावना बन सकती हैं मेरे अनुसार ये इन विषयों के इन टॉपिक पर ज्यादा फोकस करें

#Polity = नागरिकता {क्योंकि अभी NRC,NPR,CAA के कारण चर्चा में हैं} , मूल अधिकार, DPSP, राष्ट्रपति, सँसद, समितियां, आपातकालीन उपबंध, राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय, कुछ महत्वपूर्ण आयोग सवैधानिक और गैर सवैधानिक , दल बदल कानून, पंचायत, केंद्र राज्य सम्बंध आदि

#History

#प्राचीन #भारत - सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, जैन धर्म , बौद्ध धर्म, अशोक का प्रशासन, गुप्त काल  ये महत्वपूर्ण हैं बाकी जो पढ़ना हैं आप पढ़ सकते हैं।

#मध्यकालीन #भारत - दिल्ली सल्तनत की आर्थिक भूराजस्व प्रणाली और प्रशासन तथा मुगलो एवं मराठाओ का प्रशासन मुगलो की दक्कन नीति आदि आदि...

#आधुनिक #भारत - सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन, किसान एवं जनजाति विद्रोह इसके अलावा 1885 से 1947 तक का सम्पूर्ण इतिहास बिल्कुल घटनाक्रम के अनुसार पता होना चाहिये एक-एक घटना उसके पीछे क्या कारण थे,परिणाम क्या हुआ आदि आदि...

#Economy
GDP,  मुद्रास्फीति, बैंकिंग प्रणाली, मुद्रा बाजार, गरीबी, बेरोजगारी, कर सरंचना,पूँजी बाजार, राजकोसीय नीति, कृषि औद्योगिक तथा सेवा क्षेत्र,  महत्वपूर्ण इंडेक्स, विदेशी व्यापार {ECB}, अंतराष्ट्रीय संस्थाए तथा महत्वपूर्ण व्यापार समझौते  आदि
 आर्थिक समीक्षा {इकनोमिक सर्वे} जरूर पढ़ें

#Geography

#World- पृथ्वी की उत्तपत्ति एवं विकास, भूकम्प, सुनामी,ज्वालामुखी, चट्टान, मृदा, कृषि, खनिज संसाधन, परिवहन, सम्पूर्ण जलवायु विज्ञान पढ़नी हैं
सभी महाद्वीप MAP के साथ पढ़ने हैं बिना मानचित्र के पढ़ कर आप समय नष्ट कर रहें हैं ये जान लीजिए।

#Indian
अपवाह तंत्र, मृदा, जलवायु, वनस्पति, परिवहन, उद्योग, कृषि एवं पशुपालन,ऊर्जा संसाधन जनजातिया, बहुद्देशीय परियोजनाए आदि...

#Science
#Biology की NCERT

#Science & #Tech..
विगत वर्षों के DRDO, ISRO द्वारा विकसित किये गए सभी उपकरण, विदेशो से किये गए रक्षा सौदे, साझे युद्धाभ्यास, आदि

#Art & #Culture
शास्रीय तथा क्षेत्रिय नृत्य, स्तूप, मन्दिर, विहार आदि की संरचना, तथा पेंटिंग पर विशेष ध्यान दे 

#पर्यावरण- दृष्टि पब्लिकेशन

#समसामयिक #विषय 
{करेंट अफेयर्स}
सबसे महत्वपूर्ण विषय हैं ये क्योंकि विगत वर्षो मे निरन्तर इसकी उपयोगिता बढ़ रही हैं और अधिकतर अभ्यर्थी इसी मैं मात खा जाते हैं इसलिए आप सबसे ज्यादा मेहनत इसी पर करें
विगत 12 से 18 माह तक का करेंट अफेयर्स , इकनोमिक सर्वे, + RSTV + समाचार पत्र आदि
करेंट अफेयर्स का लाभ सिर्फ और सिर्फ उन्ही अभ्यर्थियों को मिलेगा जो अभ्यर्थी ट्रेडिशनल टॉपिक से जोड़ कर करेंट को पढेगे अन्यथा उन्हें परीक्षा में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा

 मुख्य परीक्षा में सफलता का एक मात्र आधार आपका
उत्तर लेखन ही है...!!!

Note:  जिस किसी भी अभ्यर्थी को अध्ययन से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई भी समस्या हो वो मुझे व्यक्तिगत msg कर सकते हैं उनकी हर संभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा।

शुक्रिया🙏

Sunday, May 3, 2020

मणिपुर के काले चावल चक हाओ को जीआई टैग मिला

#मणिपुर के' ब्लैक राइस जिसका लोकल नाम ‘Chak-hao’  है को  Geographical Indication (GI) टैग दिया गया..

1800 रुपए प्रति किलो के आसपास के दाम पर बिकने वाले इस विशेष चाक हाओ (सेंटेड काला चावल) में पोषक तत्वों की मात्रा अन्य चावलों से ज्यादा है। राज्य के किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने और इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों से अधिकांश लोगों को लाभ प्रदान कराने के मकसद से मणिपुर सरकार का कृषि विभाग इस चावल की ब्रांडिंग में जुटा हुआ है।

मणिपुर सरकार ने दावा किया है कि तमाम शोधों के बाद यह प्रमाणित हुआ है कि इस काले चावल के खाने से गंभीर ऐथिरोस्क्लेरोसिस बीमारी, उच्च रक्तचाप, तनाव, उच्च कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस, कैंसर और एलर्जी सरीखी बीमारियों से पीडि़तों को बचाव एवं राहत प्रदान करता है। काला चावल मोटापा कम करने के लिए बेहद लाभदायक हैं। दिल को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए भी ये सहायक है।

इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं। साथ ही यह हृदय की धमनियों में अर्थो स्क्लेरोसिस प्लेक फॉर्मेशन की संभावना कम करता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी कम होती है। काले चावल में एंथोसायनिन नामक एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक है। यह प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करता है। इनमें मौजूद विशेष एंटी ऑक्सीडेंट तत्व त्वचा व आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के साथ आंत की बीमारी को भी दूर करते हैं। अगर गुणवत्ता की बात करें तो इसके 100 ग्राम में कार्बोहाइड्रेट-34, प्रोटीन-8.7, आयरन-3.5, फाइबर-4.9 और सर्वाधिक एंटी ऑक्सिडेंट मौजूद रहता है।

एंथोसायनिन पाए जाने की वजह से इस चावल का रंग काला होता है जो इसमें एंटी ऑक्सिडेंट को बढ़ाता है। एंटी ऑक्सिडेंट हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में मदद करता है। काले चावल को स्वास्थ्य के लिए सबसे लाभकारी माना जा रहा है।

Friday, May 1, 2020

ज्वालामुखी : समग्र विवरण

ज्वालामुखी क्या हैं?
ज्वालामुखी आग्नेय गतिविधि का एक विशेष मामला है जिसमें पिघला हुआ चट्टान या मैग्मा क्रस्ट के नीचे से बाहरी सतह तक बहता है। मैग्मा लंबे समय तक नलियों की सतह के साथ बाहर आता है और लावा का बाहर निकलना विशिष्ट शंक्वाकार या गुंबद के आकार का भू-आकृतियाँ बनाता है।
एक ज्वालामुखी को आमतौर पर पृथ्वी की पपड़ी में गहरे वेंट के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके माध्यम से पिघली हुई चट्टानें या गर्म लावा, राख और गर्म गैसों को पृथ्वी के आंतरिक भाग से पृथ्वी की सतह तक निकाला जाता है। एक ज्वालामुखी से गर्म पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को विस्फोट के रूप में जाना जाता है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ज्वालामुखी के उत्पाद अधिकांश समुद्री पपड़ी और महाद्वीपीय क्रस्ट का हिस्सा होते हैं।

ज्वालामुखियों की प्रकृति:
जब ज्वालामुखी फटते हैं, तो आमतौर पर भूकंप से पहले एक हिंसक विस्फोट होता है। पृथ्वी के आंतरिक भाग से ज्वालामुखियों के माध्यम से सतह पर आने वाली मैग्मा में केवल पिघली हुई चट्टानें नहीं होती हैं, बल्कि विभिन्न अनुपातों के मिश्रण में गर्म तरल पदार्थ, गैसें और ठोस पदार्थ शामिल होते हैं।
अधिकांश ज्वालामुखी समुद्री तटों के पास उत्तपन्न होते हैं, नतीजतन, ज्वालामुखी विस्फोटों के साथ बड़ी मात्रा में जल वाष्प उत्तपन्न होता हैंI  लावा और अन्य सामग्रियों का संचय अधिकतम ज्वालामुखी वेंट के करीब होता है और वेंट से दूरी के साथ घटता है। नतीजतन, यह एक शंक्वाकार पहाड़ी का गठन हो  जाता है। अधिकांश ज्वालामुखियों में, एक कीप के आकार का अवसाद होता है जिसे शंकु के शीर्ष पर गड्ढा कहा जाता है।

ज्वालामुखी के कारण : 
पृथ्वी के भीतरी भाग में गहरे रेडियोधर्मी पदार्थों की रासायनिक प्रतिक्रियाएँ प्रचंड मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। कुछ गर्मी पहले से ही अवशिष्ट गर्मी के रूप में पृथ्वी के इंटीरियर में मौजूद  होती है। (पृथ्वी के गठन के दौरान पृथ्वी  के केंद्र में मौजूद गर्मी)I
रेडियोधर्मिता की अंतर राशि के कारण पृथ्वी की आंतरिक परतों और बाहरी परतों के बीच एक विशाल तापमान अंतर होता है। यह तापमान अंतर बाहरी कोर के साथ-साथ मेंटल में संवहन धाराओं को जन्म देता है।
मेंटल में संवहन धाराएँ अभिसारी और विखंडित सीमाएँ बनाती हैं I 
डायवर्जेंट बाउंड्री पर, पिघला हुआ, अर्ध-पिघला हुआ और कभी-कभी गैसीय पदार्थ पहले उपलब्ध अवसर पर पृथ्वी पर दिखाई देता है ( सबसे अच्छा उपलब्ध कमजोर क्षेत्र - आमतौर पर एक प्लेट मार्जिन है))। भूकंप फाल्ट क्षेत्रों को उजागर कर सकते हैं जिसके माध्यम से मैग्मा बच सकता है (यह दरार प्रकार के ज्वालामुखी में होता है)।

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार:
ज्वालामुखियों की टाइपोलॉजी दो मापदंडों पर आधारित है।
(1) विस्फोट की आवृत्ति का आधार
(2) विस्फोट की विधा
विस्फोट की आवृत्ति: -
कुछ ज्वालामुखियों में, विस्फोट लंबे समय तक निर्बाध रूप से जारी रहता है, लेकिन अधिकांश ज्वालामुखियों में यह बंद है। विस्फोट की आवृत्ति के आधार पर ज्वालामुखी को 3 प्रकारों में विभाजित किया जाता है:

विलुप्त ज्वालामुखी: ज्वालामुखी जिसमें विस्फोट पूरी तरह से बंद हो गया है और पुनरावृत्ति होने की संभावना नहीं है, विलुप्त कहा जाता है। उदाहरण बर्मा या माउंट में पोप पर्वत हैं। अफ्रीका में किलिमंजारो।
सुप्त ज्वालामुखी: ज्वालामुखी जो लंबे समय के लिए विलुप्त होते हैं लेकिन जिसमें विस्फोट की संभावना होती है उसे निष्क्रिय ज्वालामुखी कहा जाता है। उदाहरण जापान के फुजियामा और इंडोनेशिया के क्राकाटोआ हैं।
सक्रिय ज्वालामुखी: जो ज्वालामुखी समय-समय पर फटते रहते हैं उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी कहा जाता है। हवाई में मोना लाओ एक अच्छा उदाहरण है।
उदाहरण : इक्वाडोर में कोटोपाक्सी दुनिया का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी है और 19600 फीट ऊंचा है।

ज्वालामुखी विस्फोट के मोड के आधार पर : 
ज्वालामुखी विस्फोट के मोड के आधार पर दो प्रमुख वर्गों में विभाजित हैं।
केंद्रीय विस्फोट
विखंडन विस्फोट
केंद्रीय विस्फोट -
केंद्रीय विस्फोट एक केंद्रीय वेंट या मुंह के माध्यम से होने वाले विस्फोट हैं। ज्वालामुखी विस्फोट एक पाइप की तरह वेंट तक ही सीमित है और विस्फोट के बाद, शंकु और अन्य गड्ढा संरचनाएं विकसित की जाती हैं। एटना ज्वालामुखी एक अच्छा उदाहरण है।
विखंडन विस्फोट -
इस प्रकार का विस्फोट बिना किसी विस्फोटक गतिविधि के फाल्ट या चट्टानों के विखंडन या श्रृंखला के साथ होता है। विच्छेदन विस्फोट बड़े ज्वालामुखी शंकु का निर्माण नहीं करते हैं, लेकिन अधिक सामान्यतः वे लावा पठार और मैदान बनाते हैं।
इस मामले में, लावा को गड्ढे से बाहर नहीं निकाला जाता है, लेकिन पार्श्व दरार से निकलता है, पहाड़ी ढलान के साथ और छोटे पहाड़ी चट्टानों और सिंडर शंकु के गठन के परिणामस्वरूप। 
उदाहरण: 
हवाई द्वीप के ज्वालामुखी एक उदाहरण हैं।
इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण दक्कन का पठार है जो दो लाख वर्ग मील से अधिक क्षेत्र को कवर करता है। विस्फोट क्रेटेशियस युग के करीब की ओर हुआ। इस क्षेत्र को आमतौर पर डेक्कन ट्रैप कहा जाता है।

Socialism in Europe and the Russian revolution class 9

The Age of Social Change:  The French Revolution opened up the possibility of creating a dramatic change in the way in which society was str...