#Helicopter_Money_क्या_होती_है_और_इसे_कब_और_क्यों_प्रयोग_में_लाते_हैं_और_कैसे_भारतीय_अर्थव्यवस्था_को #COVID_19_संकट_से_बचा_सकती_है
आज जब कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में वैश्विक मंदी की आहट शुरू हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण नौकरियों में बड़ी संख्या में कटौती होना है. इसके कारण लोगों की क्रयशक्ति कम हुई है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था में हर सेक्टर में मांग गिर रही है और परिणामतः अर्थव्यवस्थायें मंदी में फंसती दिख रहीं हैं.
इसी मंदी की अवस्था से अर्थव्यवस्था को निकालने के लिए बहुत से वित्तीय उपाय सरकार द्वारा किये जाते हैं जिन्हें राजकोषीय और मौद्रिक उपाय कहा जाता है. इन्हीं मौद्रिक उपायों में एक उपाय है Helicopter Money जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था को मंदी में फंसने से रोका जाता है.
#आखिर_यह_Helicopter_Money_क्या_होती_है_और_इसका_अर्थव्यवस्था_को_सुधारने_में_क्या_योगदान_होता_है?
#हेलीकॉप्टर_मनी_क्या_होती_है?
#Helicopter_Money शब्द को अर्थशास्त्री #मिल्टन_फ्रीडमैन ने दिया था. इसका मतलब होता है रिज़र्व बैंक रुपये को प्रिंट करना और सीधे सरकार को दे देना ताकि वह जनता में बाँट दे जिससे लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकें.
यह प्रतीकात्मक रूप से हेलीकाप्टर से पैसा बरसाने जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रत्याशित धन की उम्मीद नहीं थी और उनके खाते में सीधे आ गया है जैसे आसमान से गिरा हो. Helicopter Money का उपयोग किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी से बाहर निकालने के इरादे से किया जाता है या फिर मंदी को टालने के लिए भी किया जा सकता है.
इसी दिशा में कदम उठाते हुए कुछ राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने लोगों के खातों में पैसे भेजे हैं.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव ने कहा कि हेलीकॉप्टर मनी राज्यों को कठिन आर्थिक मोर्चे से बाहर आने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा कि रिज़र्व बैंक Quantitative Easing (QE) के रास्ते देश की GDP का कम से कम 5% हिस्सा खर्च करे ताकि लोगों के हाथ में क्रय शक्ति बनी रहे.
#ध्यान_रहे_कि भारत की जीडीपी करीब 3 लाख करोड़ डॉलर है इसका पांच फीसदी 15 हजार करोड़ डॉलर (करीब 11 लाख करोड़ रुपये) होता है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 अप्रैल को 4,81,755 दिहाड़ी मजदूरों के बैंक खातों में प्रत्येक को 1,000 रुपये हस्तांतरित किए, जिनमें स्ट्रीट वेंडर और रिक्शा वाले शामिल हैं. इसी प्रकार की 5000 हजार रुपये की वित्तीय मदद दिल्ली सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों को दिए हैं.
उज्ज्वला योजना के लगभग 8 करोड़ लाभार्थियों को तीन महीने के लिए रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिए उनके बैंक खातों में 5,000 करोड़ रुपये भेजा जायेगा. ये उदाहरण बताते हैं कि सरकार ने लोगों के ऊपर धन वर्ष ही की है.
#हेलिकॉप्टर_मनी_से_भारतीय_अर्थव्यवस्था_को_कैसे_मदद_मिलेगी?
हेलीकॉप्टर मनी का व्यावहारिक क्रियान्वयन बहुत सावधानी की मांग करता है. इसके माध्यम से देश की सरकार अपने आसमानी आर्थिक संकट के दौरान देश के लोगों को इस आशा के साथ फ्री में पैसे बांटती है कि इससे उनका ख़र्च और उपभोग दोनो ही बढ़ेंगे जिसके माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी. हेलिकॉप्टर मनी का सीधा प्रभाव लोगों की डिस्पोजेबल आय में वृद्धि, अर्थव्यवस्था में मांग और मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने के इरादे से धन की आपूर्ति में वृद्धि है.
#क्या_हेलीकॉप्टर_मनी_मात्रात्मक_सहजता_के_समान_है
हेलिकॉप्टर मनी के तहत देश का सेंट्रल बैंक पहले बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है और सरकार आगे इसे लोगों के ऊपर खर्च कर देती है. हेलिकॉप्टर मनी के तहत दिया गया पैसा सरकार को सेंट्रल बैंक को रिफंड नहीं करना पड़ता है. जबकि
क्वांटिटेटिव ईजिंग के तहत भी सेंट्रल बैंक नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है लेकिन सेंट्रल बैंक, सरकारी बॉन्ड खरीदता है तभी सरकार को पैसे देता है. बाद में सेंट्रल गवर्नमेंट को ये बांड्स वापस खरीदकर रिज़र्व बैंक को पैसा लौटाना पड़ता है.
#क्या_हेलिकॉप्टर_मनी_देश_हित_में_है?
हेलिकॉप्टर मनी के कारण देश की इकॉनमी में रुपये के सप्लाई बढ़ती है जिसके कारण मुद्रा स्फीति बढती है अर्थात देश की मुद्रा की वैल्यू कम होती है. यदि सरकार कोविड 19 से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था में करीब 11 लाख करोड़ रुपये छोड़ देती है तो एक बहुत बड़ी मात्रा में बाजार में मुद्रा की सप्लाई हो जाएगी जो कि आगे उन्ही गरीबों के लिए संकट पैदा करेगी जिनके लिए आज यह पैसा बाजार में उतारा जा रहा है.
इसलिए Helicopter Money एक प्रकार से दुधारी तलवार है और सरकार को इसका इस्तेमाल ध्यान से करने की जरूरत है.
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